Monday, July 13, 2015

मुनस्यारी तीसरा दिन -खलिया टॉप

खलिया टॉप 

कल बारिश की वजह से खलिया टॉप नहीं जा पाया था, मेरे पास बस आज का दिन बचा था खलिया जाने के लिए। कल यहाँ से अल्मोड़ा जाना है.
बादलो की वजह से कल सूर्य उदय भी नहीं देख पाया था आज सुबह 4.45 पर उठ गया पर आज भी बदल थे. 5 मिनट बादल हटने का इंतिज़ार करा फिर वापसी कमरे में चला गया,

सुबह 5.45 पर मैं तैयार हो गया, नाशते में चाय और ब्रेड बटर लिए. 4 ब्रेड के पीस 50 रुपये के दीये, यह देख कर मेरे होश उड़ गए सोच लिया अब इस होटल में नहीं खाऊंगा। दाल सब्जी, दम आलू 120, 140 के और 4 ब्रेड के पीस 50 रुपैये के हद है।

जैसा की मैंने पिछले ब्लॉग में लिखा था, खलिया टॉप की ट्रैकिंग बलाती बैंड से शुरू होती है और बलाती बैंड मुख्य शहर से 9  KM  दूर थल रोड पर है. ज़्यादा तर लोग गाड़ी से बलाती बैंड तक जाते हैं. मेरी इछा भी जीप से जाने की थी इस के दो कारण थे, पहला बलाती बैंड तक का पैदल मार्ग 5 KM है और अगर मै पैदल जाता तो 5 KM ज़्यादा चलना पड़ता और पता नहीं वापसी में बलाती से कोई गाडी मिलेगी भी या नहीं, तो वापसी में पैदल आना ठीक रहेगा दूसरा कारण था समय, खलिया टॉप बलाती बैंड से लगभग 8 KM दूर है, जहाँ बलाती बैंड की उचाई 2600 मीटर है वही खलिया टॉप की उचाई 3750 मीटर 8 km में 1150 मीटर चढ़ना था, ज़्यादा तर लोग खलिया टॉप पर टेंट लगा कर रात गुज़ारते हैं और अगले दिन वापसी आते हैं. मुझे आज ही वापसी आना था तो मैं बलाती बैंड तक जीप से जा कर अपनी ऊर्जा बचाये रखना चाहता था।

3750 मीटर सोच कर थोड़ा डर लग रहा था और वह भी अकेले, यह मेरी पहली इतनी उचाई की यात्रा थी इस से पहले 3000 मीटर वियास शिखर गया था। 6.30 बजे तक जीप का इन्तिज़ार करा पर कोई जीप नहीं मिली पैदल ही चल दिया, थोड़ी दूर जा कर 1 लड़के से बलाती बैंड के पैदल मार्ग की पुष्टि करी तो उसने पूछ लिया भैया कहा जाना हैं मैंने बता दिया बलाती बैंड से खलिया टॉप जाना है उस ने बताया के आप बलाती फ़ार्म जाओ, खलिया का रास्ता बलाती बैंड से शुरू हो कर बलाती फार्म के पास से ही जाता है, उस लड़के ने 1 पैदल मार्ग बता भी दिया। बस यही 1 गलती हो गई, मैं बिना सोचे उस के बताये मार्ग पर चल दिया वास्तव में वोह कोई मार्ग नहीं था, बस पहाड़ो पर चढ़ते जाओ ना ही कोई पकडंडी ना कोई रास्ता, बलाती फार्म पर काम करने वाले मज़दूर इस रस्ते से जाते हैं कुछ दूर जा कर 1 लड़का मिला वोह बलाती फार्म ही जा रहा था, मै उस से बाते करता हुआ उस के साथ साथ चलता रहा, मै तो बलाती फार्म तक पहुचने में ही थक गया था,

बलाती फार्म 2550 मीटर पर आलू का बहुत बड़ा सरकारी खेत है, यहाँ काफी बड़ा मैदान था जिस में सीढ़ी दार खेत थे सब खेतो में आलू थे। मै इतना थक गया था के 15 20 मिनट को यही बैठ गया कुछ फोटो खीचे। पूरे खेत के चारो तरफ पथरो से बानी 2 फ़ीट उची दिवार है जिस से की कोई पालतू या जंगली जानवर खेत में ना घुस जाये। खेत की दीवार कूद कर के खलिया टॉप को जाने वाली पगडंडी पर आ गया।

अब जंगल में अकेला चला जा रहा था चारो तरफ चिड़िये चहक रही थी। रस्ते में 1 2 लोग ही मिले,  4 KM दूर 3230 मीटर की उचाई पर कुमाऊं मंडल विकास निगम का रेस्ट हाउस बन रहा है लगभग काम पूरा हो गया है।  यहाँ कुछ मज़दूर काम कर रहे थे उन से बात करने पर पता चला के इस से आगे पानी नहीं मिलेगा बर्फ मिलेगी। मैं यहाँ आधा घंटा बैठा रहा। मेरी पानी की बोतल खाली होने वाली थी यहाँ भर ली। मैं अपने साथ चिप्स कोल्ड ड्रिंक ले गया था। यहाँ बैठ कर कोल्ड ड्रिंक पी चिप्स खाए। मैंने कोल्ड ड्रिंक की बोतल में भी पानी भर लिया। यहाँ जो पानी आ रहा था ऊपर बर्फ पिघल कर आ रही थी। यहाँ से चला तो हालत कुछ ख़राब होने लगी अभी तक मैं 3400 मीटर की उचाई पर पहुंच था। अब कुछ कुछ हाई अल्टीट्यूड  का असर हो रहा था 2 मिनट चलता 3 मिनट को रुक जाता।

दोपहर बारह बजे तक मैं  खलिया बुग्याल पहुंच गया था। यहाँ कुछ और पर्यटक भी थे। यहाँ कुछ देर आराम करा फिर चल दिया फिर से मैं जंगल में अकेला था। कुछ दूर गया तो काले बदल आने लगे, बुग्याल के दोनों तरफ खाई थी और दोनों तरफ ही बदल आने लगे अचानक बहुत तेज़ बिजली चमकी बहुत तेज़ आवाज़ के साथ। चलते चलते मेरे बैग में से हलकी सी आवाज़ आई मैंने बैग खोल कर देखा तो 1 चिप्स का पैकेट फट गया था। इस का कारण था हवा का काम दबाव। हम जितनी अधिक उचाई पर होते हैं उतना ही वायु-मंडल में हवा का दबाव काम होता जाता है और साथ ही साथ ऑक्सीजन भी काम होती जाती है जिस से कारण सांस लेने भी दिक्कत होती है।  थोड़ा आराम करने बैठ गया, चिप्स का पैकेट खुदरत ने खुद खोल दिया था अब मैं खाने को कैसे मन करता, बैठ गया खाने, तभी बारिश होने लगी। बुग्याल में ना तो कोई पेड़ होता है और ना ही कोई सर छिपाने की जगह। बुग्याल में कोई रास्ता ना भटक जाये इस के लिए कुछ कुछ दूरी पर छोटे छोटे सफ़ेद रंग के पत्थर रखे हैं जो दर्शाते हैं इधर से जाना है। 10 मिनट में ही काफी भीग गया। एक तो बारिश ऊपर से बदल ऐसे आ गए के कुछ भी दिखना बंद हो गया 1 मीटर का भी नहीं दिख रहा था तो पत्थर भी दिखना बंद हो गए। भीगता हुआ मैं खाई की तरफ जाने लगा फिर 1 मिनट को रुका, सोचा की भीगने दो पहले कुछ दिखेगा तभी आगे चलूँगा बदल हलके नहीं हुए कुछ भी नहीं दिख रहा था थोड़ा आगे चला तो 1 पत्थर मिला 4  से  5 फ़ीट ऊचा उस के निचे घुस गया, पत्थर थोड़ा टेड़ा था उस के निचे बारिश काम आ रही थी। ओले पड़ने लगे पुरे बुग्याल में मानो ओलो की चादर बिछ गई हो। करीब 40 मिनट तक सुकड़ा हुआ वही बैठा रहा असहनीय ठण्ड लगने लगी थी।  जब बारिश रुकी तो 1.30 बज गया था। सोचा अब आगे जाऊ या वापसी। अभी मै 3625 मीटर की उचाई पर  खलिया टॉप यहाँ से 125 मीटर उचाई पर रह गया था पर खलिया की तरफ काफी बदल थे तो वापसी चलने का फैसला लिया और चल दिया।


वापसी में कही नहीं रुका बस चलता गया। कभी भी पहाड़ से वापसी उतरते समय जल्दी जल्दी नहीं उतरना चाहिए, घुटनो में दर्द हो जाता है। इस बात का पता होते होए भी रस्ते में टांग की नस खिच गई। जैसे तैसे कर के बलाती बैंड तक आ गया सोच लिया था चाहे रत तक गाड़ी का इन्तिज़ार करना पड़े पैदल नहीं जाऊंगा अब तक लगभग 18 19 KM पैदल चल चुका था।  बैठा रहा आधे घंटे बाद 1 वैगन आर आई हाथ दिया तो रोक गई अंदर पति पत्नी और उनकी बेटी थे आते ही कहा सर सिटी तक लिफ्ट चाहिए पैर में दर्द है। उन्होंने पूछा कहा से आ रहे हो मैंने बता दिया लिफ्ट मिल गई 9 KM के पूरे रस्ते दोनों पति पत्नी मुझ से बाते करते हुए आये, सवालो की बौछार कर दी अकेले क्यू गए थे और कहा कहा घूमे हो। परिवार का स्वभाव बहुत अच्छा था।

शहर आ कर सब से पहले चाय पीने गया, चाय पी ब्रीटान्नीअ का केक खाया। फिर कमरे में जा कर थोड़ी देर को सो गया। 8.30 बजे उठा खाना खाया फिर थोड़ी देर घूम फिर कर सो गया।

बलाती फार्म जाने का पैदल मार्ग 

बलाती फार्म जाने का पैदल मार्ग 
बलाती फार्म 




बलाती फार्म में आलू की खेती 

कल बनाये गए स्टैंड से लिया गया फोटो 





ऐसा रास्ता है खलिया बुग्याल तक 








बदल आ रहे हैं 
पनोरमिओ मोड में 1 फोटो 












यह पेड़ अधिक उचाई पर पाये जाते हैं पता नहीं बर्फ के वज़न से लेट गए या होते हे ऐसे हैं 






लो जी आ गए बदल 

बादलो के बीच 

पत्थर के निचे बारिश से बचने के लिए 
ओलो की चादर सी 


बारिश 


धूप और  छाओं  साथ साथ 






कुमाऊ मंडल का टूरिस्ट रेस्ट हाउस 








अगले भाग में - मुनस्यारी से वापसी और अल्मोड़ा की खतरनाक बारिश