11-जून -2015
सुबह 4:45 का अलार्म लगा कर सोया था, 5:07 am का सूर्य उदय था, उठा तो उम्मीदों पर पानी फिर गया. आसमान में बादल छाए थे, थोड़ी देर इन्तिज़ार करा पर कोई फायदा नहीं हुआ. सुबह सुबह पूरे शहर में चिड़ियाँ चहक रही थी. दोबारा सो गया सीधा 9 बजे उठा.
आज खलिया टॉप जाने का इरादा था. जल्दी जल्दी तैयार हुआ नाश्ते में आलू के पराठे खाए. नाश्ता करते ही बारिश शुरू हो गई. 10:45 am पर बारिश रुकी तो चल दिया खलिया टॉप.
खलिया टॉप की ट्रैकिंग बलाती बैंड से शुरू होती है जो मुनस्यारी से 9 KM दूर थल रोड पर है. आप बलाती बैंड टैक्सी से या पैदल जा सकते हैं पैदल का रास्ता थोड़ा ख़राब है और बहुत चढाई वाला है. टैक्सी नहीं मिली सो मै पैदल के रस्ते पर चल दिया।
मुनस्यारी से 4 KM दूर ही आया था के बारिश फिर से शुरू हो गई. वहां कोई ऐसी जगह नहीं थी के बारिश से बचा जा सके वापसी भागा, कुछ दूर वापसी चल कर 1 घर के छज्जे के निचे खड़ा हो गया. बारिश और ज़्यादा तेज़ हो गई. तभी उस घर में से 1 औरत ने अंदर बैठने का निमंत्रण दे दिया। पहाड़ी घर ज़्यादा बड़े नहीं होते, छोटा सा घर था, अंदर 1 औरत ओर थी शायद उस की पड़ोसन होगी। मै भीग गया था तो घर की मालकिन ने चाय बना कर दी. पहले तो मैंने मना करा पर दोबारा कहने पर चाय ले ली. मेरे पास चिप्स और केक था, मैंने चिप्स और केक खाए और उन दोनों को भी दिये। काफी देर बात चीत होती रही मुझे उनकी भाषा के कुछ शब्द समझ नहीं आ रहे थे। घर की मालकिन ने खाने का प्रस्ताव रखा, कहा "चावल बना रही हू भैया खा कर जाना " मैंने मना कर दिया सुबह के आलू के पराठे अभी भी पेट में थे, बारिश रुकी तो वापसी मुनस्यारी आ गया 1 बज गया था.
मुनस्यारी से जौल्जिबि रोड पर 3 KM आगे शेर सिंघ पंगती संग्राहलय है, अभी 1 बजा था तो काफी समय था अपने पास, संग्राहलय की ओर चल दिया। 3 KM पता भी नहीं चले पूरा रास्ता ढलान वाला था. कुछ देर को मौसम साफ़ हुआ तो रस्ते में पंचचुली के भी दर्शन हो गये. मुनस्यारी से पंचचुली बहुत सुन्दर दिखाई देता है. परन्तु मुझे 1 झलक ही देखने को मिली थी अभी तक. फोटो लेने की कोशिश करी पर मौसम इतना भी साफ़ नहीं था के कैमरे में फोटो आ सके.
आधे घंटे में अराम अराम से चलता हुआ पहुंच गया, संग्राहलय ज़्यादा बड़ा तो नहीं है, 3 कमरो में बना हुआ है और तीनो कमरे 1 के अंदर 1 हैं. 10 RS. का टिकट है पहले कमरे में ही टिकट मिलता है. बहार बोर्ड लगा था फोटो लेना माना है
3 बजे वापसी चल दिया, वापसी जा कर खान खाया आलू जीरा, ज़्यादा स्वादिस्ट नहीं था बस पेट भर लिया।
होटल में आ गया, अभी तक मुझे अपने खुद के फोटो खीचने में बड़ी दिक्कत आ रही थी और फोटो में मज़ा भी नहीं आ रहा था दिमाग लगाया 1 मोबाइल के लिए स्टैंड बनाया जाये। होटल के बहार ही 1 परचून की दूकान थी उस से 1 कोल्ड ड्रिंक ली और 1 ब्लेड लिया और 1 खली सिगरेट की डिब्बी मांग ली. होटल में आराम से बैठा और 1 काम चलाऊ मोबाइल का स्टैंड बना लिया , अगले भाग में बताऊंगा यह स्टैंड कितना काम आया.
आप से अनुरोध है निचे कमेंट करे
अगले भाग में पढ़िए मुनस्यारी से खलिया टॉप ट्रैकिंग
सुबह 4:45 का अलार्म लगा कर सोया था, 5:07 am का सूर्य उदय था, उठा तो उम्मीदों पर पानी फिर गया. आसमान में बादल छाए थे, थोड़ी देर इन्तिज़ार करा पर कोई फायदा नहीं हुआ. सुबह सुबह पूरे शहर में चिड़ियाँ चहक रही थी. दोबारा सो गया सीधा 9 बजे उठा.
आज खलिया टॉप जाने का इरादा था. जल्दी जल्दी तैयार हुआ नाश्ते में आलू के पराठे खाए. नाश्ता करते ही बारिश शुरू हो गई. 10:45 am पर बारिश रुकी तो चल दिया खलिया टॉप.
खलिया टॉप की ट्रैकिंग बलाती बैंड से शुरू होती है जो मुनस्यारी से 9 KM दूर थल रोड पर है. आप बलाती बैंड टैक्सी से या पैदल जा सकते हैं पैदल का रास्ता थोड़ा ख़राब है और बहुत चढाई वाला है. टैक्सी नहीं मिली सो मै पैदल के रस्ते पर चल दिया।
मुनस्यारी से 4 KM दूर ही आया था के बारिश फिर से शुरू हो गई. वहां कोई ऐसी जगह नहीं थी के बारिश से बचा जा सके वापसी भागा, कुछ दूर वापसी चल कर 1 घर के छज्जे के निचे खड़ा हो गया. बारिश और ज़्यादा तेज़ हो गई. तभी उस घर में से 1 औरत ने अंदर बैठने का निमंत्रण दे दिया। पहाड़ी घर ज़्यादा बड़े नहीं होते, छोटा सा घर था, अंदर 1 औरत ओर थी शायद उस की पड़ोसन होगी। मै भीग गया था तो घर की मालकिन ने चाय बना कर दी. पहले तो मैंने मना करा पर दोबारा कहने पर चाय ले ली. मेरे पास चिप्स और केक था, मैंने चिप्स और केक खाए और उन दोनों को भी दिये। काफी देर बात चीत होती रही मुझे उनकी भाषा के कुछ शब्द समझ नहीं आ रहे थे। घर की मालकिन ने खाने का प्रस्ताव रखा, कहा "चावल बना रही हू भैया खा कर जाना " मैंने मना कर दिया सुबह के आलू के पराठे अभी भी पेट में थे, बारिश रुकी तो वापसी मुनस्यारी आ गया 1 बज गया था.
मुनस्यारी से जौल्जिबि रोड पर 3 KM आगे शेर सिंघ पंगती संग्राहलय है, अभी 1 बजा था तो काफी समय था अपने पास, संग्राहलय की ओर चल दिया। 3 KM पता भी नहीं चले पूरा रास्ता ढलान वाला था. कुछ देर को मौसम साफ़ हुआ तो रस्ते में पंचचुली के भी दर्शन हो गये. मुनस्यारी से पंचचुली बहुत सुन्दर दिखाई देता है. परन्तु मुझे 1 झलक ही देखने को मिली थी अभी तक. फोटो लेने की कोशिश करी पर मौसम इतना भी साफ़ नहीं था के कैमरे में फोटो आ सके.
आधे घंटे में अराम अराम से चलता हुआ पहुंच गया, संग्राहलय ज़्यादा बड़ा तो नहीं है, 3 कमरो में बना हुआ है और तीनो कमरे 1 के अंदर 1 हैं. 10 RS. का टिकट है पहले कमरे में ही टिकट मिलता है. बहार बोर्ड लगा था फोटो लेना माना है
3 बजे वापसी चल दिया, वापसी जा कर खान खाया आलू जीरा, ज़्यादा स्वादिस्ट नहीं था बस पेट भर लिया।
होटल में आ गया, अभी तक मुझे अपने खुद के फोटो खीचने में बड़ी दिक्कत आ रही थी और फोटो में मज़ा भी नहीं आ रहा था दिमाग लगाया 1 मोबाइल के लिए स्टैंड बनाया जाये। होटल के बहार ही 1 परचून की दूकान थी उस से 1 कोल्ड ड्रिंक ली और 1 ब्लेड लिया और 1 खली सिगरेट की डिब्बी मांग ली. होटल में आराम से बैठा और 1 काम चलाऊ मोबाइल का स्टैंड बना लिया , अगले भाग में बताऊंगा यह स्टैंड कितना काम आया.
सुबह सुबह उठा था सूर्य उदय देखने, बदल थे तो देख नहीं पाया, 2 3 फोटो ले कर फिर सो गया |
बारिश रुकने का इन्तिज़ार |
बारिश के बाद |
पहले यह चिड़िया पुरे उत्तर भारत में पाई जाती थी अब कही कही बची हैं |
पंचचूली की 1 झलक |
मिलम गाँव सन 1950 में |
मिलम गाँव 1962 के चीन युद्ध के बाद |
मिलम गाँव सन 1985 में (जाऊंगा कभी यहाँ भी दिल तो बहुत है जाने का ) |
पश्मीनी बकरी |
गौ मुखी शंख |
बरल मृग का सींग 1985 |
संग्रहालय का प्रवेश |
संग्रहालय
|
टेस्टिंग सेल्फ़ी स्टैंड |
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अगले भाग में पढ़िए मुनस्यारी से खलिया टॉप ट्रैकिंग
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